What Does Shiv chaisa Mean?

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की more info प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास Shiv chaisa शिवपुर में पावे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन

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